मीलों का सफर
रख तू राह पे दो चार ही कदम मगर ज़रा तबियत से
कि मंजिल ख़ुद-ब-ख़ुद चल के तेरे पास आयेगी
अरे ओ हालात का रोना रोने वाले
तेरी तदबीर ही तकदीर बदल पायेगी
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