
दो वक्त की रोटी और सर पे साया भी है
फिर ये चंचल मन क्या कुछ अभी गंवाया भी है
घर से इतनी दूर आये चार पैसा कमाने
जिंदगी ने पैसों के सिवाय बहुत कुछ सिखाया भी है
उलझता है मन कभी इस दौड़भाग की जिंदगी से
आज भी क्या कुछ खोया, कुछ पाया भी है
बड़े अजीब हैं वो लोग जो मुहब्बत के नाम से घबराते हैं
हमने तो हर उस शख्स से प्यार किया जिन्होने दिल दुखाया भी है
डर लगता है मुझे, जो कभी मैं..मैं से मिला
अहंकार ही है जिसने अपनों का साथ छुड़ाया भी है
क्या सोचते हैं वो लोग जिनके लिए पैसा ही सब कुछ है
इस रिश्ते से भी प्यारा एक रिश्ता है
जो हमें अपनों के करीब लाया भी है
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