
मंजिल की तलाश में हर शख्स
सफर करता है पूरी रात
इस उम्मीद में
कि इस काली रात के बाद
आयेगी वो नयी सुबह
जिसकी है उसे तलाश
लेकिन इस काली रात की चादर
इतनी लंबी होगी
इसका नहीं था उसे एहसास
जागते जागते सो जाता है वो
फिर जब नींद खुलती है तो डर जाता है वो
फिर भी एक आस लिए
चल पड़ता है अपनी मंजिल की तलाश में
शायद मनुष्य का यही सबसे बड़ा गुण है
जो उसे निरंतर
जीवन की इस सच्चाई (संघर्ष)
से भी लड़ने को प्रेरित करता है
एक लंबे जीवन संघर्ष के बाद
आखिर मिल ही जाती है
उसे एक आशा की किरण
लेकिन जिसकी मंजिल का सूरज
अभी भी अस्त है
वो भी इस कठिन राह पर चलते हैं
मिलेगी उन्हे भी उनकी मंजिल एक दिन
जिसकी उसे आज भी तलाश है
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