
क्यूं होता है दर्द आदमी को
मन हो जाता है व्यथित
एक एक पल लगता है सालों जैसा
सपनों में भी
चले आते हैं वो लोग
जो बिछड़ गये हैं कहीं
बाकी है तो केवल उनकी याद
जो देती रहती है हमें दर्द
कई बार सोते सोते
उठ बैठता हूं मैं
मानो उसके स्पर्श ने ये एहसास दिलाया हो
कि मैं तुमसे दूर ही कब गया
ये तो तुम थे जिसने मुझसे इतनी उम्मीद की
अब समझ में आया
सारे दर्द की वजह क्या है
ना मैंने किसी से उम्मीद की होती
ना जल रहा होता इस विरह की आग में
अब तो लगता है
जैसे सब सही कहते हैं
गलती मेरी ही थी
जो मैने सोचा क्या था
और मुझे मिला क्या है
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