
साथियों के नाम....
तारीख ३० जूलाई..दिन की दूसरी शिफ्ट बस कुछ ही पलों में मोर्चा संभालने वाली थी..लेकिन इससे पहले कि मेरे साथी गण मोर्चा संभालते..एक ख़ास विषय पर चर्चा का माहौल गरमाने लगा था..हांलाकि हम सभी एक मीडिया हाउस में काम करते हैं..लेकिन यहां चर्चा का विषय दिन की कोई बड़ी ख़बर नहीं थी..बल्कि ख़बरों में मसाला लगाकर परोसने वाले हमारे साथी..पिछले कई महीनों से उड़ रही प्रोबेशन की ख़बरों को लेकर आज भी आपस में उलझे पड़े थे...
बहरहाल जो सपना पिछले कई महीनों से हमारे साथियों की आंखों में चमक रहा था..उसके सच होने का वक्त आ गया था..साथियों ने अपने अपने मोर्चे संभाल लिये थे..हाथ तो माउस पर थे..लेकिन पूरा ध्यान मोबाइल फोन पर था..हर साथी इसी उम्मीद में बैठा था कि ना जाने कब मोबाइल एक मधुर धुन छेड़ दे..और खली पड़े खाते में एक भारी भरकम रकम गिर जाये..हम सब इन्ही खयालों में डूबे हुए थे..कि इतने में एक साथी के मोबाइल फोन पर बीप की ध्वनि सुनाई दी..इतने में सबकी निगाहें उस साथी की ओर उठने लगीं..आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा था..भाई के खाते में १३००० रूपये गिर चुके थे..और इतनी रकम देखकर उसकी आंखें भी चौधियां गई थीं..
धीरे धीरे सबके फोन पर चेहरों को हरा कर देने वाले संदेश आने लगे..लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके मोबाइल फोन का नंबर वेतन देने वाले बैंक के पास मौजूद नहीं था..सो अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई जानने के लिए उनकी उत्सुकता बढ़ना लाजमी थी..अब धीरे धीरे शिफ्ट भी अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी..और ऐसे में साथियों के चेहरों पर जीत की खुशी साफ पढ़ी जा सकती थी..इधर रात अपने पूरे शबाब पर थी..तो उधर साथियों की ख़ुमारी भी बढ़ती जा रही थी..सबकी जुबां पर बस एक ही सवाल था कि जश्न की तैयारी कैसे की जाये..
बहरहाल नौजवानों के जश्न मनाने का तरीका तो आप भी जानते होंगे..इस मुद्दे पर बिना कोई बहस किये हमें साथियों के उज्जवल भविष्य की कामना करनी चाहिए..और जीवन में थोड़ा धैर्य रखने की नसीहत भी देना चाहिए...
सदैव आपका....
विकास यादव
सार - ईटीवी न्यूज में तय समय से बहुत बाद में हुए प्रोबेशन की सच्ची घटना पर आधारित